Tuesday, April 16, 2024
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नवरात्र‍ि घट स्थापना विधि, शुभ महूर्त एवं पूजा सामग्री

Navratri sthaapana 2017

मां दुर्गा की स्थापना और पूजा की तैयारी के लिए सिर्फ एक दिन रह गया है। चूँकि 21 सितंबर यानी कि कल से ही नवरात्र‍ि का शुभारंभ हो रहा है और कलश स्थापना का सबसे शुभ मुहूर्त प्रातः सुबह का है। इसलिए मां दुर्गा की स्थापना और पूजा में जिन चीजों की आवश्यकता होती हैं उन्हें एकत्रित करना पड़ता हैं। आपको बता दे इन चीजों के बिना मां दुर्गा की अराधना अधूरी है।

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नौ देवियों का पर्व नवरात्रि 21 सितंबर से शुरू हो रहा है। नवरात्रि 21 सितम्बर से शुरू होकर 29 सितम्बर तक चलेगी। 21 सितम्बर दिन गुरूवार से नवरात्रि 2017 का शुभारंभ हो रहा है। नवरात्रि में नौ दिनों तक सभी देवियों की पूजा आराधना की जाती हैं। इस त्यौहार में चाहे सुहागन हो कन्या नौ दिनों का व्रत रखती है। यह त्यौहार पूरे भारत में बड़े ही धूम धाम से मनाया जाता है। इस पूजा में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की आराधना की जाती है।

यहां पूजा सामग्री की सूची दी गई है। और अगर आप भी कलश स्थापना में शामिल हैं तो जल्द इस सामग्री को एकत्रित करें।

पूजा सामग्री

अखंड ज्योत के लिए – पीतल या मिट्टी का दीया, रूई की बत्ती, रोली या सिंदूर, चावल

हवन के लिए – हवन कुंड, लौंग का जोड़ा, कपूर, सुपारी, गुग्ल, लोबान, घी, पांच मेवा, चावल

पीतल या मिट्टी का कलश, लाल सूत्र, मौली, इलाइची, लौंग, कपूर, रोली, साबुत सुपारी, साबुत चावल और सिक्के, लाल रंग का आसन, लाल चुनरी, कुमकुम का टीका, मिट्टी का पात्र और जौ, साफ की हुई मिट्टी, जल से भरा हुआ सोना, चांदी, तांबा, अशोक या आम के पांच पत्ते, मिट्टी का ढक्कन, पानी वाला नारियल, लाल कपड़ा या चुनरी, सिंदूर, फूल और फूल माला, नवरात्र कलश, सिंदूर, नारियल, पंचमेवा, मिष्ठान, फल, सुहाग का सामान, चूड़ी, बिछिया, सिंदूर, महावर, बिंदी, काजल आदि।

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कलश स्थापना का शुभ महूर्त

द्रिक पंचांग के अनुसार – इस बार नवरात्र का शुभ मुहूर्त सुबह 6:18 बजे से 8 बजकर 10 मिनट तक रहेगा। इस समय के बीच में कलश स्थापन के साथ पूजा कर सकते हैं।

नवरात्रो में दुर्गा माँ के नव रूपों की पूजा नौ दिनों तक चलती हैं। नवरात्र के आरंभ में प्रतिपदा तिथि को उत्तम मुहर्त में कलश या घट की स्थापना की जाती है। कलश को भगवान गणेश का रूप माना जाता है जो की किसी भी पूजा में सबसे पहले पूजनीय है इसलिए सर्वप्रथम घट रूप में गणेश जी को बैठाया जाता है।

नवरात्र‍ि कलश स्थापना की विधि

कलश स्थापना के लिए सबसे पहले पूजा स्थल को शुद्ध कर ले। उसके बाद एक लकड़ी के पाटे पर लाल कपडा बिछाकर उसपर थोड़े चावल रख दे। उसके उपरांत जिस कलश को स्थापित करना है उसमे मिट्टी भरने के बाद पानी डाल कर उसमे जौ बो दे। कलश पर रोली से स्वास्तिक और ॐ बनाकर कलश के मुख पर मोली से रक्षा सूत्र बांध दे। कलश में सुपारी, सिक्का डालकर आम या अशोक के पत्ते रख दे और फिर कलश के मुख को ढक्कन से ढक दे। ढक्कन को चावल से भर दे। तथा उसके पास एक नारियल जिसे लाल मैया की चुनरी से लपेटकर रक्षा सूत्र से बांध दे। इस नारियल को कलश के पास रखे और सभी देवी देवताओं का आवाहन करे। अंत में दीपक जलाकर कलश की पूजा करे। अंत में कलश पर फूल और मिठाइयां चढ़ा दे। अब हर दिन नवरात्रों में इस कलश की पूजा करे।

कुछ लोग नवरात्रों के अष्टमी के दिन कन्या पूजन करते हैं और कुछ लोग नवमी के दिन पूजन किया जाता है। कन्या पूजन के बिना नवरात्रों का फल नहीं मिलता है। आप चाहे उपवास ना करें लेकिन नवरात्र के दौरान कन्या पूजन सबसे महत्वपूर्ण है। छोटी कन्याओं को मां दुर्गा का रूप माना जाता है। नौ दिनों तक चलने वाली इस पूजा में देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों आराधना की जाती है। नवरात्रि में मां दुर्गा की पूजा करने से जातक को हर मुश्किल से छुटकारा मिल जाता है।

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